महामृत्युंजय मंत्र (Mahāmrityunjaya Mantra) का जाप विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। अकाल
मृत्यु, महारोग, धन-हानि, गृह क्लेश, ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, सजा का भय, प्रॉपर्टी विवाद, समस्त पापों से
मुक्ति आदि जैसे स्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।
इसके चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं। इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र
(Mahāmrityunjaya Mantra) या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। यदि साधक पूर्ण श्रद्धा और विश्वास
के साथ यह साधना करें, तो वांछित फल की प्राप्ति की प्रबल संभावना रहती है।
इसका सामान्य मंत्र निम्नलिखित है, किंतु साधक को बीजमंत्र का ही जप करना चाहिए
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
मंत्र का अर्थ हम त्रिनेत्र को पूजते हैं, जो सुगंधित हैं, हमारा पोषण करते हैं, जिस तरह फल, शाखा के बंधन
से मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।
हर हर मार्कण्डेय महादेव -> अधिक जानकारी हेतु कॉल करें (+91 6394009592/+91 7393898634)